भोलापन
आधी रात को क्या हुआ मुझे नींद ना आई
सर चकरा गया मेरा देख तुझे मेरे सामने
यह सच था या था सपना तब तक मेरे ख्यालों में आया नहीं
आठ वर्ष बीत गए लेकी ओ यादें मिटी नहीं ओ पल सिमटा नहीं
अजनबी था मैं तुम्हारे जीवन में अजनबी थी तुम मेरे जीवन में
पर ऐसा कुछ क्या हो गया मानो हमे कुछ पता न चला
आज सच में तुम मेरे पास नहीं हो लेकिन ये यादें रहेगी हर पल तेरे साथ
ओ दिन अनोखे थे जब बिना किसी मतलब के झगड़ लिए
मानो इन सबका ख़याल अब मुझे धीरे धीरे आ रहे है
जबकि इन सारी कविताओं में तेरा भोलापन याद आ जाती है