अन्तराल

ओ दिन आज भी मुझे याद है जब हम आपस में बैठ कर अपनी ख्वायिशें और अपनी उत्थान पत्तन की बाते किया करते थे
ओ दिन भी याद है जब हम आपस में छोटी मोटी बातचीत कर लिया करते थे

आज अचानक हमारे बीच इतनी दूरी आ गयी की सिर्फ अपनी पर्चायिया लेकर इस अंतर्जाल में फसे है

गाना चाहो तो गा सकते हो लेना चाहते हो तो ले सकते हो मगर सब कुछ इस अनोखा प्रौद्योगिकी यंत्र के माध्यम से काम जुटा सकते हैं

कितनी भी दूरियां हमारे बीच आ जाए लेकिन याद रखियेगा कही न कहीं हम आपको यूही याद करते रहेंगे  इसकी माद्यम से मिलते रहेंगे जब चाहे

 

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