मुशाफ़िर

हम ज़मी पर चंद दिनों के मुशाफ़िर हैं, ना गलती तेरी ना ही मेरी, यह सब कुछ तो भगवान का खेल है, कुदरत की चाल है, नसीब की लकीरें भी रास्ते की तरह मोड़ लिया करती है, हर किसी को नाकामयाब समझना वाकई भूल है, किस शक्स में क्या ख़ूबी है, बस यह वक्त की तालमेल है।

Popular Posts