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అనితశ్రీధరీయం: కావ్యాంజలి
మదిని సుతిమెత్తగా మీటే లావణ్య భావాల రత్నావళి
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Poetry
December 05, 2007
Thinking of You...
ऐसा होते कभी सोचा भी नहीं कि तुम फिर आई
और मेरे मन की हलचल बदल गई
सोता तो सपने तुम्हारी ही आती है
अब कहने को मन करता है लेकिन न जानेशब्द नहीं है
तुम्हें कि तुमने मुझे सताया है
प्यार तुम भी करती थी ये न मुझे बताया है
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