वक़्त
आज न जाने क्यों एक ऐसा माहोल चा गया है
मानो कभी किसी वक़्त पर किसी मोड़ पर
कोई अनजाना पल सा मेरे आगे से होकर गुजर रहा हो
इन्ही आँखों में एक नयी झलक सी आ गयी है
लेकिन बस चलता चल राही किसी एक न एक तौर पर न जाने कहीं कोई अपना
जो कभी पहले हम से मुलाक़ात न हो आ जाए अचानक सी उसे देख हैरान न रह जाना
वक़्त ही हमारा प्रश्न है और वक़्त ही उसका उत्तर
अब तुम्हे छोड़ चले आये हम इतने दूर की न जाने तुम अब किस मोड़ में ठहर गयी एह तो मुझे पता ही न चला ... ठहरा हुआ सा दिखा वक़्त न जाए कब इतनी दूर हमें लेके आ गया
अब उन बीते पलों से हमे क्या लेना देना ... जो अब और बाकी है उससे हम को आगे बढ़ना चाहिए
वक़्त की इस मुश्किल राहो में कहीं न कहीं तो आशा की रोशन आ पड़ती है उसी की तरफ हमें जाना है ... न जाने किस मोड़ पर हमे और कोई मिल जाए
मानो कभी किसी वक़्त पर किसी मोड़ पर
कोई अनजाना पल सा मेरे आगे से होकर गुजर रहा हो
इन्ही आँखों में एक नयी झलक सी आ गयी है
लेकिन बस चलता चल राही किसी एक न एक तौर पर न जाने कहीं कोई अपना
जो कभी पहले हम से मुलाक़ात न हो आ जाए अचानक सी उसे देख हैरान न रह जाना
वक़्त ही हमारा प्रश्न है और वक़्त ही उसका उत्तर
अब तुम्हे छोड़ चले आये हम इतने दूर की न जाने तुम अब किस मोड़ में ठहर गयी एह तो मुझे पता ही न चला ... ठहरा हुआ सा दिखा वक़्त न जाए कब इतनी दूर हमें लेके आ गया
अब उन बीते पलों से हमे क्या लेना देना ... जो अब और बाकी है उससे हम को आगे बढ़ना चाहिए
वक़्त की इस मुश्किल राहो में कहीं न कहीं तो आशा की रोशन आ पड़ती है उसी की तरफ हमें जाना है ... न जाने किस मोड़ पर हमे और कोई मिल जाए