जिंदगी

ऐ जिंदगी जो है पल दो पल की
याद किया जाए तो कुछ पल याद आ जाए

पर नफरत की आग से रहो दूर
जो जलाए दूसरों को कम ख़ुद को जलाए ज्यादा
इसी होनहार आगों की लपटों में जिया जाए तो क्या इसे जीना कहेंगे ?

इस बिरंगी जिंदगी के हर एक पल को रंगीन बनाओ
ज्यादा न हो सही थोड़ा कुछ अपना इस देश के लिए करते जाओ
याद न रहेगा चेहरा लेकिन पीडियाँ याद रखेगी तुम्हारे वादे यारा

स्नेह से बढकर इस जीवन में पाये तो क्या पाये

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