फिर उस पल की याद आ गई ओ सनम

तुम्हें भूल जाने का मन नही करता
हमारा दिल भूल भूलैः में भटक रहा है
क्या कहें मेरा दिल तो इस अंतरजाल में खो गया है
आज से करीब आठ साल बीत चुके हैं लेकिन मेरा प्यार तुम्हारे लिए न जाने क्यूँ इतना सता रहा है

याद तेरी जब जब आ जाती है तो मुझसे रहा न जाता है ओ सनम
कैसा जादू सा फ़ैल गया है यह सुनेहरा आस्मां
मेरी हर खुशियों में तुम नज़र आ रही हो॥
कैसे छुटेगा पता नही जिसके लिए मैंने सात साल गुजारे घुट घुट कर जीया

आज के दिन की याद आए तो तन मन सब कांप उठता है ओ सनम
मैं कितना परेशान हूँ ज़रा इन पंक्तियों को देख कर पता चलेगा
जिस तरह आसमान और भूमि एक से दूर नही हो सकती
उसीकी तरह जितनी भी दूरी में हो तुम तेरी भलाई ही चाहा हूँ

यह प्यार एक अँधेरा नही उजाला है जिसे तुमसे ही मैंने सीखा
उस दिन का जो घटना घटा उससे न जाने कितना ही बदल गया हूँ
लेकिन तेरी याद में जो कवितायें शुरू हुई है चलते रहेगी बस
मैं खुशनसीब हूँ जिसने तुम्हारे जैसे एक नेक इंसान से साथी न सही दुश्मन ही बनकर अपनी राहो में खो गया

मेरी जीवन में आज से आठ साल पहले की घटना की याद करते हुए लिखी गई कविता है
इस कविता से किसी की दिल पर किसी भी तरह की कलंक न आए ।
श्रीधर

Popular posts from this blog

Telugu Year Names

My Childhood and Now

మాతృమూర్తి గొప్పతనం