बीती बातें

कल की बीती बातों को शायद मैं दोहराना चाहा 
उस टूटी शीशे में हर बार उसका चेहरा देखना चाहा 
उसकी जब कभी याद आती है तो दिलभर रोना चाहा 
इंतहा अब हो गयी पर भी उसकी यादगार पलों में जीना चाहा 

पर ज़िन्दगी इस क्षण में रुख जाती नहीं 
जो दिल के करीब न आ पाये उसकी छवि दिल से जाती नहीं 
लेकिन ज़िंदा दिल में बस येही ख्वाइश नहीं रहे, हमें भी कभी हार मान रुख जाना नहीं 
जो हमारे नसीब में होते हैं किसी न किसी एक दिन हमारे सामने आ ही जाते हैं, चिंता कभी करना नहीं 

हरेक मनुष्य की सोच में बदलाव होते हैं
कोई लोग दिल के कच्चे होते हैं 
इरादों में जीकर जीवन बना लेते हैं 
ये कोई रुकावट नहीं, ये कोई हार नहीं, बस ज़िंदगानी की एक छोटी सी सबक हैं 
भटकता हुआ राही को अपनी मंजिल तक जाना चाहिए, चाहे पेड़ कि छाँव उसे पल भर के लिए रोख देती है  

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